भोपाल: मध्य प्रदेश कांग्रेस में जल्द ही बड़ा संगठनात्मक बदलाव देखने को मिलेगा. राहुल गांधी के निर्देशों के तहत राज्य में पार्टी की नई जिलाध्यक्ष टीम तैयार की जा रही है. इस बार नेतृत्व की जिम्मेदारी युवाओं को सौंपने की योजना है.
जिलाध्यक्षों के लिए नए नियम:
मध्य प्रदेश कांग्रेस में संगठन सृजन अभियान के तहत जिलाध्यक्षों के चयन के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं. पार्टी हर ज़िले से जिलाध्यक्ष पद के लिए छह नामों का एक पैनल तैयार करेगी. इस पैनल में 45 वर्ष से कम उम्र के उन कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्होंने पार्टी में कम से कम 5 सालों तक काम किया हो.
कांग्रेस प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने रविवार को वर्चुअल बैठक के दौरान 165 पर्यवेक्षकों को ये निर्देश दिए. इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी मौजूद थे. हरीश चौधरी ने साफ़ किया कि यह बदलाव युवाओं को नेतृत्व में लाने का एक ठोस प्रयास है. हालांकि, अगर किसी ज़िले में कोई वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता है, तो उसके नाम पर भी विचार किया जा सकता है, लेकिन इसका कारण साफ़ तौर पर दर्ज होना चाहिए. इसके साथ ही, जातीय संतुलन का विशेष ध्यान रखते हुए निर्देश दिए गए हैं कि पैनल में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग या महिला उम्मीदवार में से किसी एक को ज़रूर शामिल किया जाए.
संगठन और चुनाव कार्य होंगे अलग-अलग:
संगठनात्मक मजबूती के लिए एक और बड़ा फैसला लिया गया है. अब पार्टी के संगठन पदाधिकारियों को चुनाव लड़ने की इजाज़त नहीं होगी. अगर कोई संगठन पदाधिकारी चुनाव लड़ना चाहता है, तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा. यह फैसला पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की मौजूदगी में हुई राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक में लिया गया था.
पार्टी का मानना है कि चुनाव और संगठन के काम को अलग रखने से दोनों बेहतर तरीके से किए जा सकते हैं. हाल के चुनावों में यह देखा गया था कि संगठन के पदाधिकारी चुनाव लड़ने में व्यस्त हो जाते थे, जिससे पार्टी की संगठनात्मक गतिविधियां प्रभावित होती थीं. इस फैसले से पार्टी को चुनावी रणनीति और संगठनात्मक मजबूती दोनों में संतुलन मिलेगा.