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खंडवा के ये दो ‘दूधिया गांव’ बना रहे लाखों की कमाई! हर घर में ‘दूध की नदियां’, जानिए सफलता का राज

Last Updated: May 26, 2025, 01:34 PM IST

मिसाल! खंडवा के ये दो ‘दूधिया गांव’ बना रहे लाखों की कमाई! हर घर में ‘दूध की नदियां’, जानिए सफलता का राज

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के देवनालिया और अनजन गांव ने दूध उत्पादन में बनाई अनोखी पहचान। यहां के चारण समाज के परिवार पशुपालन से हर महीने लाखों कमा रहे हैं, बने स्वरोजगार की मिसाल।

हाइलाइट्स

  • खंडवा के देवनालिया और अनजन गांव दूध उत्पादन के लिए चर्चित।
  • चारण समाज के परिवार कर रहे व्यवस्थित पशुपालन।
  • हर घर में 25 से 30 भैंसें/गायें, रोजाना 3000 लीटर तक दूध उत्पादन।
  • किसान खुद डेयरियों तक पहुंचाते हैं दूध, बिचौलियों का काम खत्म।
  • पशुपालन गांव की आर्थिक रीढ़ बना, युवाओं का पलायन रुका।

खंडवा (मध्य प्रदेश): मध्य प्रदेश का खंडवा जिला खेती-किसानी के लिए तो पहचाना ही जाता है, लेकिन अब यहां के दो गांव ऐसे भी हैं, जिन्होंने दूध उत्पादन में अपनी अलग पहचान बना ली है। ये गांव न सिर्फ अपनी जरूरत के लिए दूध निकालते हैं, बल्कि बड़े स्तर पर दूध का व्यवसाय कर हर महीने लाखों की आमदनी भी कमा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं पंधाना जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले **देवनालिया और अनजन गांव** की। इन गांवों में चारण समाज के लोग रहते हैं, जिन्होंने पारंपरिक खेती के साथ व्यवस्थित पशुपालन को अपनाया और आज उनके घरों में दूध की नदियां बह रही हैं।

हर घर में 25 से ज्यादा पशु, हजारों लीटर दूध उत्पादन:

ग्राम पंचायत घाटीखास के ग्राम देवनालिया में चारण समाज के 70 से अधिक परिवार रहते हैं। हर परिवार के पास 25 से 30 भैंसें या गाय हैं। यही स्थिति पास के ही अनजन गांव की भी है। यहां भी हर घर में दर्जनों पशु हैं, जिनमें खासतौर से **जाफरी, भूरा और मेहसाणा नस्ल की भैंसें, और साहीवाल, गिर और देशी नस्ल की गायें** पाली जाती हैं। इन नस्लों की खास बात ये है कि ये प्रतिदिन औसतन 10 से 12 लीटर दूध देती हैं। यही कारण है कि देवनालिया और अनजन गांव से रोजाना **3000 लीटर तक दूध** का उत्पादन हो रहा है।

सीधा डेयरियों तक पहुंचता है दूध, बिचौलियों का खेल खत्म:

पंचायत सचिव रमेश खेरदे और ग्रामीण लाखा पिता बाला चारण बताते हैं कि इन गांवों से हर दिन सुबह और शाम दोनों समय दूध एकत्रित किया जाता है। गांव के ही युवा और किसान मिलकर दूध को कलेक्ट करते हैं और खंडवा शहर की डेयरियों तक पहुंचाते हैं। इन गांवों में दूध के लिए कोई दलाल या बिचौलिया नहीं होता। किसान खुद ही दूध को मापते हैं, दाम तय करते हैं और शहर में सप्लाई करते हैं। इससे उन्हें पूरा मुनाफा सीधे मिलता है। दूध का मौजूदा भाव ₹40 से ₹50 प्रति लीटर है, जिससे हर परिवार रोजाना **₹1,000 से ₹1,500 तक कमा** रहा है।

पशुपालन है गांव की आर्थिक रीढ़, पलायन रुका:

इन गांवों में पशुपालन सिर्फ शौक नहीं, बल्कि मुख्य व्यवसाय बन चुका है। खेत की उपज से चारे की व्यवस्था होती है और पशुओं से दूध के अलावा गोबर खाद और जैविक खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है। कई परिवार तो दूध बेचकर बच्चों की पढ़ाई, शादी-ब्याह और मकान तक बना चुके हैं। गांवों के युवा भी अब शहरों की ओर पलायन नहीं कर रहे, बल्कि अपने गांव में रहकर स्वरोज़गार की मिसाल बन रहे हैं।

दूध उत्पादन से बनी गांव की पहचान, सरकारी सपोर्ट की उम्मीद:

पंधाना तहसील में अब देवनालिया और अनजन गांव को **”दूध उत्पादन वाले गांव”** के नाम से जाना जाता है। यहां के ग्रामीण बताते हैं कि यदि सरकार द्वारा ठोस सपोर्ट मिले – जैसे दूध संग्रहण केंद्र, ठंडा रखने की मशीनें (चिलर), और डेयरी योजना से जुड़ी सब्सिडी – तो ये गांव जिले ही नहीं, राज्य में नंबर वन बन सकते हैं। जहां एक ओर कई गांव आज भी सिर्फ खेती पर निर्भर हैं, वहीं देवनालिया और अनजन जैसे गांव दिखा रहे हैं कि खेती और पशुपालन का संतुलित मॉडल अपनाकर गांव के हर परिवार को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। यह गांव मध्य प्रदेश के अन्य जिलों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं – जो यह सिखाते हैं कि अगर नीयत साफ हो और मेहनत ईमानदार, तो गांव भी समृद्धि की मिसाल बन सकते हैं।

Location: खंडवा, मध्य प्रदेश

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