भोपाल: मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती घोटाले में फर्जी अभ्यर्थियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अब तक सॉल्वर के ज़रिए परीक्षा देकर आरक्षक बनने वाले 33 उम्मीदवारों का खुलासा हो चुका है. जांच एजेंसियों को आशंका है कि यह संख्या और भी अधिक हो सकती है. इस मामले में अब तक 14 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि चार फरार आरोपियों पर 10-10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है.
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा? राज्य पुलिस द्वारा की जा रही गहन जांच में यह सामने आया है कि आरोपियों ने आधार कार्ड अपडेट कर सॉल्वर से बायोमेट्रिक दर्ज करवाया और फिर शारीरिक परीक्षा से पहले फिर से आधार अपडेट कर खुद का बायोमेट्रिक दर्ज कराया. इस तरह बायोमेट्रिक आधारित सुरक्षा प्रणाली को चकमा देकर नौकरी हासिल की गई. यह घोटाला दिखाता है कि कैसे आधार अपडेट प्रणाली का गलत इस्तेमाल कर बायोमेट्रिक डेटा को दो बार बदला गया और सरकारी नौकरी पाई गई.
मुख्य तथ्य:
- अब तक 33 फर्जी उम्मीदवारों की पहचान की जा चुकी है.
- इस मामले में 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें सॉल्वर और आधार अपडेट कराने वाले भी शामिल हैं.
- अब तक कुल 24 एफआईआर दर्ज की गई हैं.
- चार फरार आरोपियों पर 10-10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है.
- सॉल्वर गिरोहों का खुलासा उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात से भी जुड़ा हुआ है.
जांच अधिकारियों का बयान: जांच अधिकारियों का मानना है कि अभी यह मामला केवल आरक्षक भर्ती परीक्षा तक सीमित है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यही गिरोह अन्य सरकारी परीक्षाओं में भी सॉल्वर भेज चुका हो.
अन्य परीक्षाओं में भी संदेह: ग्वालियर के एक परीक्षा केंद्र में हुई पटवारी भर्ती परीक्षा में भी 10 में से 7 टॉपर्स संदेह के घेरे में थे. इससे साफ है कि भर्ती प्रक्रियाओं में सुनियोजित फर्जीवाड़ा फैला हुआ है.
जांच की स्थिति: पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, सभी संभावित अभ्यर्थियों की जांच की जा रही है. जांच के तय बिंदुओं के आधार पर पड़ताल आगे बढ़ रही है और फिलहाल एसआईटी (विशेष जांच दल) की आवश्यकता नहीं मानी गई है. हर ज़िले में टीमें गठित की गई हैं जो इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं.