मध्य प्रदेश का 'सांप घोटाला' जानकर उड़ जाएंगे होश! राजकुमार 19 तो रमेश 30 बार 'मरे'!, 46 लोग डकार गए ₹11.26 करोड़, सरकार की नींद उड़ी!
Breaking news Madhya Pradesh MP Polictics News

मध्य प्रदेश का ‘सांप घोटाला’ जानकर उड़ जाएंगे होश! राजकुमार 19 तो रमेश 30 बार ‘मरे’!, 46 लोग डकार गए ₹11.26 करोड़, सरकार की नींद उड़ी!

सिवनी (मध्य प्रदेश): मध्य प्रदेश से एक ऐसा चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है, जिसने हर किसी को सन्न कर दिया है! यहां सांप काटने से लोग एक बार नहीं, बल्कि 20 से 30 बार ‘मर’ रहे हैं और सरकार हर बार उन्हीं को करोड़ों का मुआवजा भी दे रही है। यह सुनकर भले ही आपको यकीन न हो, लेकिन अकेले सिवनी जिले में 46 लोगों ने मिलकर सरकार को ₹11.26 करोड़ का चूना लगा दिया है। इस ‘सांप घोटाले’ के तरीके ने शासन-प्रशासन की नींद उड़ा दी है।

मध्य प्रदेश का 'सांप घोटाला' जानकर उड़ जाएंगे होश! राजकुमार 19 तो रमेश 30 बार 'मरे'!, 46 लोग डकार गए ₹11.26 करोड़, सरकार की नींद उड़ी!
मध्य प्रदेश का ‘सांप घोटाला’ जानकर उड़ जाएंगे होश! राजकुमार 19 तो रमेश 30 बार ‘मरे’!, 46 लोग डकार गए ₹11.26 करोड़, सरकार की नींद उड़ी!

₹11.26 करोड़ का ‘सर्पदंश’ घोटाला!

यह हैरान कर देने वाला ‘सांप घोटाला’ मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में सामने आया है। यहां सर्पदंश की दवा में ठगी के साथ-साथ, फर्जी सर्पदंश मृत्यु दावों के जरिए ₹11.26 करोड़ की सरकारी राशि हड़पी गई है। सिवनी की केवलारी तहसील में 2019 से 2022 के बीच यह फर्जीवाड़ा धड़ल्ले से चल रहा था। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस घोटाले में एक शख्स रामकुमार को 19 बार और रमेश नाम के व्यक्ति को 30 बार मृत दिखाकर मुआवजा निकाला गया!

ऐसे हुआ पूरा ‘षड्यंत्र’:

मध्य प्रदेश सरकार सर्पदंश से हुई मौत पर पीड़ित परिवारों को ₹4 लाख का मुआवजा देती है। इसी स्कीम का फायदा उठाकर कुछ भ्रष्ट सरकारी अफसर और अन्य लोगों ने मिलकर यह बड़ा खेल किया। केवलारी के रमेश को फर्जी दस्तावेजों के जरिए सांप काटने से 30 बार मरा दिखाकर मुआवजा लिया गया। इसी तरह रामकुमार और अन्य लोगों के नाम पर भी बार-बार मुआवजा निकाला गया। इसके अलावा, सर्पदंश की दवाओं की खरीद में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की बात सामने आई है, जहां जरूरत से ज्यादा कीमत पर दवाएं खरीदी गईं या फर्जी बिल बनाए गए।

जांच में 46 लोग शामिल, सहायक सचिव गिरफ्तार!

इस बड़े घोटाले का खुलासा तब हुआ जब Integrated Financial Management System (IFMS) और तहसील-कोषालय की लचर व्यवस्था की जांच की गई। जबलपुर के वित्त और कोष विभाग की विशेष टीम द्वारा की गई जांच में यह पूरा खेल सामने आया। मामले में अब तक एक सहायक सचिव को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन इस घोटाले में शामिल बाकी 45 आरोपियों पर अभी कार्रवाई होनी बाकी है।

निजी खातों में भेजी गई राशि, सुनियोजित साजिश:

जबलपुर संभाग के वित्त विभाग की विशेष टीम की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि मुख्य आरोपी ने फर्जी तरीके से प्राप्त की गई सरकारी राशि को सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजने की बजाय, अपने परिवार, दोस्तों और जान-पहचान वालों के निजी खातों में ट्रांसफर किया। जांच अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह साफ है कि यह गबन एक सुनियोजित और संगठित तरीके से किया गया था। यह जांच रिपोर्ट अब सिवनी कलेक्टर को भेज दी गई है।

बार-बार क्यों हो रहे ऐसे घोटाले?

मध्य प्रदेश में बार-बार इस तरह के बड़े घोटाले सामने आने की मुख्य वजह कमजोर सिस्टम और जवाबदेही की कमी है। IFMS जैसे डिजिटल सिस्टम में खामियां, तहसील और कोषालय स्तर पर लापरवाही, और जांच में देरी ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। ‘सांप घोटाले’ में एक ही व्यक्ति को बार-बार मृत दिखाकर मुआवजा निकालना सीधे तौर पर सिस्टम की बड़ी नाकामी को दर्शाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे घोटालों को रोकने के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन और रियल-टाइम मॉनिटरिंग जैसे कड़े कदम उठाने होंगे।

सरकार को अब क्या करना चाहिए?

  • फर्जी दावों की जांच तेज करें और इस घोटाले में शामिल सभी दोषियों को सख्त सजा दें।
  • डिजिटल सत्यापन और सख्त ऑडिट सिस्टम लागू करें, ताकि भविष्य में इस तरह के फर्जीवाड़े रोके जा सकें।
  • घोटालों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर व्यापक सुधार करें और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करें।

यह ‘सांप घोटाला’ न केवल सरकारी धन की बर्बादी का एक उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे भ्रष्ट लोग सिस्टम की कमियों का फायदा उठाकर जनता के पैसे को हड़प लेते हैं।

Please follow and like us:
Pin Share

Leave a Reply