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भोपाल में तीन ठिकानों पर एनआईए की रेड: एक और साजिश, एक और अलर्ट

रिपोर्ट: Sheetal Sharma | AgrasarIndia डेस्क, नई दिल्ली

“सरकार को गिराने और इस्लामिक स्टेट लाने की तैयारी थी…” — एनआईए की रेड में खुला नया चैप्टर

भोपाल
शहर सुबह की चाय पी रहा था और उसी समय एक के बाद एक तीन इलाकों में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की गाड़ियां उतर रही थीं।
फ्लैट्स के दरवाज़े खटखटाए गए। कुछ दरवाज़े खुद खुले, कुछ ज़ोर से। और फिर शुरू हुआ भारत की आंतरिक सुरक्षा को बचाने वाला एक और ऑपरेशन

हिज्ब-उत-तहरीर यानी Hizb-ut-Tahrir। वही कट्टरपंथी संगठन जिसने पिछले कुछ सालों में धीरे-धीरे जड़ें जमाने की कोशिश की।
इस बार भोपाल और राजस्थान के झालवाड़ में एक साथ रेड मारी गई। आरोप— भारत सरकार को गिराने और इस्लामिक स्टेट की स्थापना की साजिश।

भोपाल में कहां-कहां छापेमारी?

एनआईए ने भोपाल के तीन स्थानों पर और झालवाड़ (राजस्थान) के दो ठिकानों पर छापे मारे।
सूत्रों के अनुसार, इन रेड्स में डिजिटल डिवाइस, मोबाइल फोन, पेन ड्राइव, धार्मिक कट्टर साहित्य और संभावित आपत्तिजनक मैसेजिंग ग्रुप्स के डेटा जब्त किए गए हैं।

क्या है Hizb-ut-Tahrir?

  • हिज्ब-उत-तहरीर एक अंतरराष्ट्रीय इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है।

  • इसका मकसद शरिया आधारित खिलाफत की स्थापना करना है।

  • भारत में इसे गोपनीय तरीके से युवाओं का ब्रेनवॉश करके फैलाया जा रहा था।

  • यह संगठन भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित है।

कैसे चलता है ब्रेनवॉश का खेल?

एनआईए के एक अधिकारी (गोपनीयता की शर्त पर) ने बताया:

“ये लोग कॉलेज जाने वाले गरीब मुस्लिम युवाओं को टारगेट करते थे। पहले उन्हें इस्लाम का ‘शुद्ध रूप’ बताने के नाम पर जोड़ते, फिर सिस्टम के खिलाफ भड़काने की मुहिम शुरू होती थी।”

भोपाल में पिछले 3 सालों में चार से अधिक ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें युवाओं को धार्मिक ट्रेनिंग के नाम पर कट्टरपंथी रास्ते पर ले जाने की कोशिश की गई।

पहले भी मिल चुके हैं लिंक

ये पहली बार नहीं है जब भोपाल में कट्टरपंथी नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ हो।

  • 2023 में पांच युवकों को गिरफ्तार किया गया था जिनका संपर्क बांग्लादेश के आतंकी संगठनों से निकला था।

  • 2024 में दो स्टूडेंट्स को हिरासत में लिया गया जो हिज्ब-उत-तहरीर के डिजिटल सेल में सक्रिय थे।

भोपाल पुलिस की खुफिया शाखा के अनुसार:

“पिछले कुछ वर्षों में भोपाल हिज्ब-उत-तहरीर की ‘स्लीपर सेल’ जैसी गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है। इसकी वजह है शिक्षा के नाम पर युवाओं का झुंड, और बेरोजगारी की हताशा।”

ज़मीनी सच्चाई — एक पिता की कहानी

शाहिद अली, जिनके बेटे को पहले एक ऐसे ही कट्टरपंथी मॉड्यूल से जोड़ने की कोशिश हुई थी, बताते हैं:

“बेटा ऑनलाइन पढ़ाई करता था। एक दिन उसे कुछ ऐसे लोग मिले जिन्होंने उसे ग्रुप में जोड़ा और फिर देश की बुराई, सरकार की आलोचना और इस्लामी राज्य की बात करने लगे। हमने समय रहते समझ लिया वरना अनर्थ हो जाता।”

शाहिद अली की यह बात आज कई परिवारों के लिए चेतावनी हो सकती है — डिजिटल प्लेटफॉर्म पर युवाओं का माइंड गेम चल रहा है।

डिजिटल डिवाइसों से क्या मिला?

एनआईए के प्रारंभिक जांच सूत्रों के अनुसार:

  • जब्त डिवाइसों में एन्क्रिप्टेड चैट्स, फायरआर्म्स ट्रेनिंग से जुड़े वीडियोज़, और शरिया शासन का प्रचार करने वाले पीडीएफ डॉक्यूमेंट्स मिले हैं।

  • कुछ डेटा क्लाउड सर्वर से भी सिंक्रोनाइज़ हो रहा था, जिससे संभावित अंतरराष्ट्रीय लिंक की जांच भी शुरू हो चुकी है।

केंद्र सरकार की सख्ती

केंद्र सरकार ने पहले ही हिज्ब-उत-तहरीर पर बैन लगाया हुआ है। गृह मंत्रालय के एक बयान के अनुसार:

“भारत की एकता और संविधान को चुनौती देने वाले किसी भी विचारधारा के लिए देश में कोई जगह नहीं है। HUT जैसे संगठनों पर पूरी निगरानी है।”

निष्कर्ष: क्या सिर्फ रेड ही काफी है?

एनआईए की कार्रवाई ज़रूरी है। लेकिन क्या केवल रेड और गिरफ्तारी से कट्टर सोच खत्म होगी?

विश्लेषक नसीम खान कहते हैं:

“जब तक युवाओं को शिक्षा, रोज़गार और समान अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक ऐसे विचार उन्हें अपनी ओर खींचते रहेंगे। सिर्फ जांच नहीं, सामाजिक संवाद भी चाहिए।”

आप क्या सोचते हैं — क्या भारत जैसे लोकतंत्र में सरकार गिराने की साजिश को “धर्म के नाम पर क्रांति” कहकर जायज़ ठहराया जा सकता है?

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