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कौन हैं ‘पंचायत’ के नए सांसद जी? चौथे सीजन में मचाने वाले हैं सियासी भूचाल, असल जिंदगी में हैं नेशनल अवॉर्ड विनर!

फुलेरा की राजनीति में नया तूफान!

जब से ‘पंचायत’ सीजन 4 के ट्रेलर में सांसद जी (स्वानंद किरकिरे) की एंट्री हुई है, फैंस के बीच चर्चा का बाजार गर्म है। अभी तक फुलेरा गांव की कहानी में प्रधानजी (नीरज कबी), अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) और मनोज राय (रघुवीर यादव) की जुगलबंदी ने दर्शकों का दिल जीता था। लेकिन अब एक नया किरदार—एक दमदार, शातिर और करिश्माई नेता—कहानी में तहलका मचाने आ रहा है।

क्या यह किरदार फुलेरा की सियासत को बदल देगा? क्या प्रधानजी की सत्ता डगमगाएगी? और सबसे बड़ा सवाल—स्वानंद किरकिरे, जो असल जिंदगी में एक नेशनल अवॉर्ड विनर हैं, कैसे इस भूमिका में जीवंत हुए?


“मैं नहीं, मेरी पॉलिटिक्स बोलेगी!” — स्वानंद किरकिरे का किरदार क्यों है खास?

ट्रेलर में सांसद जी का एक डायलॉग—“गांव की सियासत में सबसे बड़ी ताकत वोट नहीं, वोटर की मजबूरी होती है”—ने साफ कर दिया है कि यह किरदार सिर्फ एक कॉमिक रिलीफ नहीं, बल्कि एक गहरी राजनीतिक छवि वाला शख्स होगा।

स्वानंद किरकिरे, जिन्हें हम ‘बावरा मन’ और ‘पियू बोले’ जैसे गानों के लेखक के तौर पर जानते हैं, ने इससे पहले भी ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’, ‘थ्री ऑफ अस’ और ‘कला’ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। लेकिन ‘पंचायत’ में उनका यह रोल उनके करियर का सबसे चुनौतीपूर्ण किरदार हो सकता है।

“NSD से लेकर OTT तक का सफर”

स्वानंद का जन्म इंदौर के एक मराठी परिवार में हुआ, जहां संगीत उनकी रगों में बसा था। उनके माता-पिता दोनों शास्त्रीय गायक थे, लेकिन उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) से एक्टिंग की ट्रेनिंग ली। यहीं उनके साथ नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे दिग्गज भी पढ़े।

एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था—
“मैंने थिएटर में गरीबी देखी, संघर्ष देखा, और यही वजह है कि मैं गांव के किरदारों को अच्छे से समझ पाता हूं।”

गीतकार से एक्टर तक: नेशनल अवॉर्ड विनर

स्वानंद ने ‘मोंटा रे’ (लगे रहो मुन्ना भाई) और ‘ओ री चिरैया’ (तालाश) जैसे गानों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। उनके लिखे गीतों में गांव-देहात की खुशबू साफ महसूस होती है, और शायद यही वजह है कि ‘पंचायत’ जैसी वेब सीरीज में उनकी कास्टिंग हुई।


क्या बदलेगा ‘पंचायत’ सीजन 4 में?

टीम ‘पंचायत’ ने इस बार ग्रामीण राजनीति के गहरे पहलुओं को छुआ है। सीजन 4 में कुछ नए ट्विस्ट देखने को मिलेंगे:

  1. सांसद जी vs प्रधानजी की टकराहट – नीरज कबी के किरदार को अब एक बड़ा चैलेंज मिलेगा।

  2. अभिषेक त्रिपाठी की नई जिम्मेदारी – क्या वह अब सिर्फ एक सरपंच सचिव रहेगा या राजनीति में कूदेगा?

  3. मनोज राय का नया रोल – क्या वह सांसद जी का समर्थक बनेगा?

“गांव की राजनीति असल में ऐसी ही होती है” — एक्सपर्ट व्यू

हमने डॉ. रमेश पाल, पॉलिटिकल साइंस प्रोफेसर (दिल्ली यूनिवर्सिटी) से बात की, उन्होंने बताया—
“ग्रामीण राजनीति में बाहरी नेता अक्सर विकास के नाम पर अपना वोट बैंक बनाते हैं। ‘पंचायत’ अगर इस सच्चाई को दिखाती है, तो यह एक बड़ी बात होगी।”

सरकारी आंकड़े क्या कहते हैं?

  • 73वें संविधान संशोधन के बाद भी भारत की केवल 21% पंचायतों में ही महिला प्रधान पूरी तरह सशक्त हैं (स्रोत: पंचायती राज मंत्रालय, 2024)।

  • 42% ग्रामीण युवाओं को लगता है कि स्थानी नेता उनकी समस्याओं को नहीं सुनते (NSSO सर्वे)।


निष्कर्ष: क्या ‘पंचायत’ सीजन 4 हिट होगा?

‘पंचायत’ की खास बात यह रही है कि यह गांव की सच्चाई को बिना ग्लैमराइज किए दिखाती है। अब जबकि इसमें स्वानंद किरकिरे जैसे बेहतरीन कलाकार जुड़ रहे हैं, तो यह सीरीज और भी ज्यादा रोमांचक हो गई है।

फैंस को इंतजार है 15 जुलाई 2025 का, जब Amazon Prime Video पर यह सीजन रिलीज होगा। तब तक के लिए, सांसद जी का यह डायलॉग याद रखिए—
“फुलेरा में अब जंग होगी, और जंग में सच्चाई का कोई मोल नहीं होता!”

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