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Google से भी पुरानी टेक्नोलॉजी! सागर यूनिवर्सिटी में रखा है 100 साल पुराना चमत्कारी फ्रिज, बिना बिजली के करता है ‘चिल्ड’ काम!

सागर (मध्य प्रदेश): आज के हाई-टेक जमाने में जहां हर चीज बिजली से चलती है, वहां मध्य प्रदेश की सागर यूनिवर्सिटी में एक ऐसा अद्भुत खजाना छिपा है, जिसे देखकर आप दंग रह जाएंगे! यहां के म्यूजियम में एक दुर्लभ फ्रिज रखा हुआ है, जो लगभग 100 साल पुराना है और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह बिना बिजली के काम करता है! जी हां, आपने सही पढ़ा, बिना बिजली के!

डॉ. हरि सिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर में स्थित इस अनोखे म्यूजियम में कुछ ऐसी दुर्लभ वस्तुएं रखी हैं, जो शायद देश के किसी और संग्रहालय में देखने को न मिलें। इन्हीं में से एक है यह ऐतिहासिक फ्रिज, जिसका इस्तेमाल उस दौर में दवाएं और इंजेक्शन जैसी संवेदनशील चीजों को ठंडा रखने के लिए किया जाता था।

सागर यूनिवर्सिटी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिषेक जैन इस चमत्कारी फ्रिज के बारे में बताते हैं कि पुराने समय में जब बिजली की सुविधा इतनी व्यापक नहीं थी, तब भी कुछ चीजों को ठंडा रखना बेहद जरूरी होता था। खासकर अस्पतालों में दवाइयां, सीरम लिक्विड या टिंचर जैसी चीजें। डॉ. जैन बताते हैं कि 1810 में जब पहले फ्रिज का आविष्कार हुआ था, तब ठंडा करने वाली मशीन मिट्टी के तेल को एक चैंबर में जलाकर काम करती थी। इससे निकलने वाली गैसें, मुख्य रूप से अमोनिया और हाइड्रोजन, एक कंप्रेसर के माध्यम से सर्किट में घूमती थीं और फ्रिज को ठंडा रखती थीं।

डॉ. जैन इसे ‘केरोसिन से चलने वाला फ्रिज’ कहते हैं, जो आज के समय में वाकई एक आश्चर्यजनक उपलब्धि है। उन्होंने कहा, “उस समय इतनी टेक्नोलॉजी नहीं थी, किताबें नहीं थीं, गूगल का ज्ञान नहीं था, इसके बावजूद भी मानव ने केरोसिन से चलने वाला फ्रिज निर्मित किया। यह अद्भुत वैज्ञानिक सोच का परिणाम है।” इस प्रकार का एक फ्रिज डॉक्टर हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के नवीन मेडिकल म्यूजियम में है, जहां द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़ी कई और अनोखी मेडिकल वस्तुएं भी रखी हुई हैं।

यह 100 साल पुराना फ्रिज सचमुच पुराने समय की इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है, जिसकी क्षमता 10 लीटर है। इस फ्रिज में एक चैंबर है जिसमें मिट्टी का तेल डाला जाता था और एक सर्किट बना हुआ था, जिससे मिट्टी का तेल जलाया जाता था। इस बर्नर से निकलने वाली गैसें कंप्रेसर में पहुंचती थीं और फ्रिज को ठंडा रखती थीं। सागर विश्वविद्यालय की स्थापना साल 1946 में हुई थी, और तभी से यहां विश्व युद्ध में मेडिकल क्षेत्र में उपयोग होने वाली ऐसी कई अनोखी वस्तुएं संरक्षित हैं।

यह अनोखा फ्रिज हमें याद दिलाता है कि कैसे सीमित संसाधनों के बावजूद, मानव की रचनात्मकता और वैज्ञानिक सोच ने उस दौर में भी असंभव लगने वाले आविष्कार किए थे।

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