Breaking news Latest News

SC रेप केस जजमेंट: शादीशुदा महिला शादी का झांसा देकर रेप का आरोप नहीं लगा सकती

Last Updated: June 04, 2025, 16:25 IST
Location: New Delhi, Delhi

SC रेप केस जजमेंट: शादीशुदा महिला शादी का झांसा देकर रेप का आरोप नहीं लगा सकती

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सहमति से बने रिश्ते को बाद में रेप नहीं कहा जा सकता. कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज करते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया.

फेक रेप केस मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

एक चौंकाने वाले मामले में, एक शादीशुदा महिला, जो चार साल के बच्चे की मां भी है, ने एक युवक पर रेप का केस दर्ज किया था. महिला का आरोप था कि युवक ने उससे शादी का वादा करके करीब एक साल तक शारीरिक संबंध बनाए. महिला ने दावा किया था कि युवक ने उसे यह भरोसा दिलाया था कि जैसे ही उसका तलाक हो जाएगा, वह उससे शादी कर लेगा. जब ऐसा नहीं हुआ तो महिला ने युवक पर रेप का केस दर्ज कर दिया.

कोर्ट ने क्यों कहा कि ये रेप नहीं है

सुप्रीम कोर्ट ने महिला की इस दलील को मानने से साफ इनकार कर दिया. कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब महिला पहले से शादीशुदा थी, तब किसी भी अन्य व्यक्ति के साथ शादी का वादा कानूनी रूप से वैध नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि महिला खुद अपनी मर्जी से लंबे समय तक उस युवक के साथ रिश्ते में रही. उसने युवक से होटल में दो बार मुलाकात की और पूरे एक साल तक रिश्ता बनाए रखा.

तलाक के बाद भी मामला संदेहास्पद क्यों लगा कोर्ट को

महिला ने अपना तलाक (जिसे ‘खुलानामा’ कहा जाता है) दिसंबर 2022 में लिया था. हालांकि, उसने दावा किया कि उसने जून 2022 से लेकर जुलाई 2023 तक युवक से शारीरिक संबंध बनाए. इसका सीधा सा मतलब है कि यह रिश्ता शुरू होने के समय वह कानूनी रूप से विवाहित थी. कोर्ट ने इस बिंदु पर सवाल उठाया कि जब वह पहले से शादीशुदा थी, तो वह किसी दूसरे से शादी की उम्मीद कैसे कर सकती थी?

कहीं यह मामला बदले की भावना से तो नहीं?

युवक ने कोर्ट को बताया कि जब वह अपनी पढ़ाई पूरी कर अपने गांव लौट गया और महिला उससे मिलने उसके गांव गई, तो उसके परिवार ने इस पर नाराजगी व्यक्त की. युवक के अनुसार, इसके बाद ही महिला ने उसके खिलाफ केस दर्ज किया. सुप्रीम कोर्ट ने इस पहलू पर भी गंभीरता से ध्यान दिया और टिप्पणी की कि यह मामला शायद गुस्से या बदले की भावना से दर्ज किया गया हो.

“अगर कोई रिश्ता आपसी सहमति से शुरू हुआ था और बाद में वह रिश्ता बिगड़ गया, तो उसे रेप नहीं कहा जा सकता. यह कानून का दुरुपयोग होगा और ऐसे मामलों में पुलिस या अदालत को घसीटना सही नहीं है.”

सहमति से बने रिश्तों को बाद में रेप नहीं कहा जा सकता

अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि यदि कोई रिश्ता आपसी सहमति से शुरू हुआ था और बाद में उसमें कड़वाहट आ गई या वह टूट गया, तो उसे रेप के तौर पर नहीं देखा जा सकता. कोर्ट ने इसे कानून का दुरुपयोग बताया और कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस या अदालतों को घसीटना उचित नहीं है.

 

Please follow and like us:
Pin Share

Leave a Reply