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मां के सपनों को बेटी ने दी ‘उड़ान’, बनीं भारत की सबसे कम उम्र की कमर्शियल ‘पायलट’, आंखों में आ गए आंसू

Last Updated: May 27, 2025, 01:45 PM IST

प्रेरणादायक कहानी!

कर्नाटक के बीजापुर की समायरा हुल्लुर ने 18 साल की उम्र में भारत की सबसे कम उम्र की कमर्शियल पायलट बनकर एक मिसाल कायम की है। अपनी मां के सपने को पूरा करने वाली समायरा की यह कहानी कई युवाओं को प्रेरित कर रही है।

हाइलाइट्स

  • समायरा हुल्लुर भारत की सबसे कम उम्र की कमर्शियल पायलट बनीं (18 साल की उम्र में CPL)।
  • पायलट बनने का सपना उनकी मां नजीया हुल्लुर का था।
  • 5वीं क्लास में हेलिकॉप्टर में बैठकर बनी पायलट बनने की प्रेरणा।
  • 10वीं क्लास से पायलट बनने की तैयारी शुरू की।
  • ज्यादातर पेपर्स पहले ही अटेम्प्ट में पास किए, 200 घंटे की फ्लाइट ट्रेनिंग पूरी की।
  • मां और दादी की आंखों में खुशी के आंसू आए।

बीजापुर, कर्नाटक: क्या आपने कभी सोचा कि हवाई जहाज की कॉकपिट से दुनिया कैसी दिखती होगी? कर्नाटक के बीजापुर की **समायरा हुल्लुर** ने न सिर्फ ये सपना देखा, बल्कि 18 साल की उम्र में भारत की सबसे कम उम्र की कमर्शियल पायलट बनकर इसे हकीकत में बदल दिया। आज यह लड़की उन तमाम युवाओं के लिए एक मिसाल बन गई है, जो ऊंची छलांग लगाना चाहते हैं।

कर्नाटक के बीजापुर की रहने वाली समायरा हुल्लुर 18 साल की उम्र में कामर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) हासिल कर चुकी हैं। उन्होंने भारत की सबसे कम उम्र की पायलट बनने का रिकॉर्ड बनाया है। अब 19 साल की समायरा को बचपन से ही एडवेंचर स्पोर्ट्स जैसे घुड़सवारी, रॉक क्लाइंबिंग और स्विमिंग का शौक था। पायलट बनने का सपना उनकी मां का था, जिसे बेटी ने पूरा किया। उनकी मां नजीया हुल्लुर दिल्ली पब्लिक स्कूल, बीजापुर में कोऑर्डिनेटर हैं। समायरा की मां नजीया हुल्लुर को पायलट की वर्दी और उसका सम्मान हमेशा से आकर्षित करता था। उन्होंने ही बेटी समायरा को पायलट बनने के लिए प्रेरित किया और उसका भरपूर साथ दिया।

5वीं में बैठी थी हेलिकॉप्टर:

समायरा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह क्लास 5 में थीं तब बीजापुर के नवराासपुर उत्सव में हेलिकॉप्टर में बैठी थीं। उनकी मां कॉकपिट में थीं और वह वर्दी से बहुत प्रभावित हुईं। कुछ साल बाद दिल्ली एयरपोर्ट पर क्रू मेंबर्स को सम्मान से देखकर उनकी मां ने उनसे कहा, ‘मैं चाहती हूं कि तुम्हें भी अपने काम के लिए ऐसा सम्मान मिले।’ क्लास 9 में समायरा ने तय किया कि वो डेस्क जॉब या भारी-भरकम पढ़ाई वाली फील्ड में नहीं जाएंगी। उनकी मां ने एविएशन का सुझाव दिया।

पायलट बनने के लिए 10वीं से जुट गईं:

समायरा ने बताया कि वह क्लास 10वीं में थीं तब उन्होंने अकासा एयरलाइंस के कैप्टन थपेश कुमार से ओरिएंटेशन क्लास ली, जिससे एविएशन का रोडमैप समझने में मदद मिली। क्लास 11 तक वह पूरी तरह पायलट बनने की तैयारी कर चुकी थीं। समायरा ने कहा कि उन्हें हौसला तब मिला जब एक दोस्त ने कहा कि कितने माता-पिता अपने बच्चों को पायलट बनने को कहते हैं? तुम लकी हो, पूरी मेहनत करो। इसके बाद समायरा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

पहले अटेम्प्ट में पास की परीक्षा:

12वीं बोर्ड एग्जाम के बाद समायरा दिल्ली के एक एविएशन अकादमी में पढ़ने गईं। वहां उन्हें छह पेपर्स पास करने थे: एयर रेगुलेशन, एविएशन मेट्रोलॉजी, एयर नेविगेशन, टेक्निकल जनरल, टेक्निकल स्पेसिफिक और रेडियो टेलीफोनी। हर पेपर में 70% मार्क्स जरूरी थे। जहां ज्यादातर स्टूडेंट्स को एक-दो अटेम्प्ट लगते हैं, समायरा ने पांच पेपर्स पहले ही अटेम्प्ट में पास कर लिए। रेडियो टेलीफोनी के लिए उम्र 18 साल होनी चाहिए, इसलिए उन्हें तीन बार रिजेक्शन झेलना पड़ा। फिर भी उन्होंने सात महीने में ग्राउंड ट्रेनिंग पूरी की।

200 घंटे की ट्रेनिंग के बाद मिला सर्टिफ‍िकेट:

अप्रैल 2024 में समायरा पुणे के बारामती में कार्वर एविएशन में भर्ती हुईं, जहां 200 घंटे की फ्लाइट ट्रेनिंग के बाद उन्हें CPL मिला। पूरी प्रक्रिया में 18 महीने लगे। समायरा ने बताया कि जब उन्होंने पहली बार कॉकपिट में बैठकर सूर्यास्त के समय उड़ान भरी, वह नजारा जिंदगी भर नहीं भूलेंगी। उनके इंस्ट्रक्टर ने कई मैन्यूवर्स किए ताकि उनकी सहनशक्ति और मोशन सिकनेस चेक हो सके। समायरा के इंस्ट्रक्टर ने उनसे पूछा कि ‘मजा आ रहा है क्या?’

कैसी रही पहली सोलो फ्लाइट?

पायलट की ट्रेनिंग में सोलो फ्लाइट सबसे खास पल होता है। ज्यादातर पायलट 36 घंटे की ट्रेनिंग के बाद सोलो उड़ान भरते हैं, लेकिन समायरा ने सिर्फ 28 घंटे में ये मुकाम हासिल किया। समायरा ने बताया कि जब उन्होंने अकेले उड़ान भरी, तो जहाज इतना हल्का लगा जैसे कोई वजन ही न हो। वह अनुभव अविश्वसनीय था। समायरा ने एक इंटरव्यू में बताया कि लैंडिंग में उन्हें शुरू में दिक्कत हुई। उनके इंस्ट्रक्टर ने सलाह दी कि लैंडिंग के वक्त गहरी सांस लो और फोकस करो। इस छोटी सी सलाह ने उनकी दिक्कत दूर कर दी।

मां और दादी की आंखों में आ गए आंसू:

CPL मिलने पर अकादमी में समायरा को तीन स्ट्राइप्स के साथ सम्मानित किया गया। समायरा ने बताया कि यह देखकर उनकी मां और दादी की आंखों में आंसू आ गए। दादी को मेरे स्कूल के रिजल्ट से थोड़ा मलाल था, लेकिन लाइसेंस मिलने पर वो बहुत खुश थीं। समायरा ने बताया कि उनकी स्कूल में चीफ गेस्ट बनकर जाना भी उनके लिए गर्व का पल था। उनके प्रिंसिपल कहते थे कि कुछ ऐसा करो कि स्कूल में चीफ गेस्ट बनकर लौटो। वह सपना सच हुआ।

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