By AgrasarINdia News Desk
Publish Date: Monday, June 2, 2025 at 01:28:07 PM IST
बिहार एनडीए में सीट बंटवारे पर घमासान! क्या JDU को तरजीह से चिराग, कुशवाहा और मांझी नाराज हैं, सामने आ रही अंदरूनी कलह?
बिहार की राजनीति में हमेशा कुछ न कुछ गरमागरमी चलती रहती है। आगामी 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा है। सीट बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों के बीच चल रही खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है। सवाल उठ रहा है कि आखिर एनडीए के नेता किसको ‘गीदड़भभकी’ दे रहे हैं और क्या जनता दल यूनाइटेड (JDU) को तरजीह मिलने से चिराग पासवान (लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास), उपेंद्र कुशवाहा (राष्ट्रीय लोक मोर्चा) और जीतन राम मांझी (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) जैसे प्रमुख सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) से नाराज चल रहे हैं?
मुख्य हाइलाइट्स:
- बिहार NDA में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सीट बंटवारे पर बढ़ा तनाव।
- जेडीयू को अधिक सीटें मिलने की संभावना से चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी कथित तौर पर नाराज।
- चिराग पासवान की पार्टी विधानसभा चुनाव में उनकी उम्मीदवारी पर विचार कर रही, जिसे दबाव की रणनीति माना जा रहा।
- जीतन राम मांझी ने मांगी हैं 20 से अधिक विधानसभा सीटें।
- उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा चुनाव में भी एक सीट मिलने से थे नाखुश, विधानसभा में बढ़ाएंगे दबाव।
- बीजेपी और जेडीयू के बीच भी कुछ सीटों की अदला-बदली की संभावना।
- एनडीए नेताओं के बीच आंतरिक कलह और मनमुटाव सतह पर आ रहा है।
सीट बंटवारे पर तकरार: क्यों नाराज हैं सहयोगी?
लोकसभा चुनाव 2024 में भले ही बिहार एनडीए ने अच्छा प्रदर्शन किया हो, लेकिन विधानसभा चुनाव 2025 की बिसात बिछने से पहले ही सहयोगी दलों के बीच सीटों को लेकर बेचैनी बढ़ गई है। चर्चा है कि जेडीयू की वापसी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए में बड़े कद के चलते, अन्य छोटे सहयोगी दलों को उतनी सीटें नहीं मिल पाएंगी जितनी वे उम्मीद कर रहे हैं। यही वजह है कि चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी जैसे प्रमुख नेता अपनी-अपनी पार्टियों के लिए अधिक सीटों की मांग को लेकर परोक्ष रूप से दबाव बना रहे हैं।
पिछली बार लोकसभा चुनाव में भी सीट बंटवारे को लेकर छोटे दलों में कुछ असंतोष था। उदाहरण के लिए, उपेंद्र कुशवाहा को सिर्फ एक सीट (काराकाट) मिली थी, जबकि उनकी मांग तीन सीटों की थी। जीतन राम मांझी को भी गया सीट से ही संतोष करना पड़ा था। अब विधानसभा चुनावों के लिए, जहां सीटों की संख्या लोकसभा से कहीं अधिक होती है, इन नेताओं की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। यह बिहार की राजनीति में एक आम बात है, जब चुनाव से पहले गठबंधन के भीतर सौदेबाजी अपने चरम पर होती है।
चिराग पासवान का ‘विधानसभा दांव’
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी को मिली 5 सीटों पर शत-प्रतिशत जीत दर्ज कराकर अपनी राजनीतिक ताकत का लोहा मनवाया है। अब उनकी पार्टी में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि चिराग पासवान को आगामी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए। उनकी पार्टी के नेता अरुण भारती ने तो यहां तक कहा है कि वे चिराग से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए औपचारिक प्रस्ताव रखेंगे। इस कदम को एनडीए के भीतर सीट बंटवारे से पहले बीजेपी और जेडीयू पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
चिराग पासवान 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर नीतीश कुमार की पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा चुके हैं। उनका ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का नारा काफी लोकप्रिय है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान अपनी पार्टी के लिए अधिक से अधिक सीटों पर दावा ठोकने के लिए यह दांव खेल रहे हैं, ताकि वे बिहार की सत्ता में अपनी भूमिका को और मजबूत कर सकें। उनकी बढ़ती लोकप्रियता और लोकसभा में शानदार प्रदर्शन के बाद, बीजेपी के लिए उन्हें नजरअंदाज करना मुश्किल होगा।
कुशवाहा और मांझी की बढ़ी डिमांड
राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के संरक्षक जीतन राम मांझी भी विधानसभा चुनाव में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की पुरजोर कोशिश में हैं। सूत्रों के अनुसार, जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ ने 20 से अधिक सीटों की मांग रखी है, जो उनकी वर्तमान स्थिति को देखते हुए काफी अधिक है। मांझी का तर्क है कि वे दलित वोट बैंक में अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं और गठबंधन की जीत के लिए उनकी भूमिका अहम है।
वहीं, उपेंद्र कुशवाहा, जो लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट मिलने से नाखुश थे, विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए बेहतर सीट शेयरिंग चाहते हैं। उनकी पार्टी की रणनीति यह है कि वे उन सीटों पर दावा ठोकें जहां उनकी जातीय पकड़ मजबूत है। एनडीए के भीतर बीजेपी और जेडीयू के अलावा इन तीनों प्रमुख सहयोगी दलों को खुश करना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव में सभी घटक दल जीतने की संभावना के आधार पर सीटों का बंटवारा चाहते हैं, जिसमें जातिगत समीकरण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
बीजेपी-जेडीयू की रणनीति और आंतरिक मंथन
बिहार एनडीए में सबसे बड़े घटक दल होने के नाते बीजेपी और जेडीयू पर सभी को साधने का दबाव है। हालांकि, खबरें हैं कि बीजेपी सीट बंटवारे को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी के मूड में नहीं है और वह सभी पहलुओं पर विचार कर रही है। दोनों बड़ी पार्टियां उन सीटों की पहचान कर रही हैं जहां वे लगातार हार रही हैं, और उन सीटों को सहयोगी दलों के साथ अदला-बदली करने पर विचार कर रही हैं। यह खास रणनीति चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए बनाई जा रही है।
हालांकि, नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने से गठबंधन मजबूत हुआ है, लेकिन इससे चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं की सियासी उम्मीदों पर ग्रहण लगता दिख रहा है। बीजेपी को बड़े भाई की भूमिका में सभी सहयोगी चाहते हैं, लेकिन कोई भी अपनी हिस्सेदारी छोड़ने को तैयार नहीं है। यह NDA गठबंधन के लिए एक बड़ी माथापच्ची है, जिसे सुलझाना आसान नहीं होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
बिहार एनडीए में किन-किन दलों के बीच सीट बंटवारे पर तनाव है?
बिहार एनडीए में बीजेपी और जेडीयू के अलावा चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास), उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के बीच सीट बंटवारे को लेकर तनाव है।
क्या चिराग पासवान विधानसभा चुनाव लड़ेंगे?
चिराग पासवान की पार्टी (लोजपा-रामविलास) उन्हें आगामी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए औपचारिक प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है, जिसे सीट बंटवारे पर दबाव बनाने की रणनीति माना जा रहा है।
जीतन राम मांझी ने कितनी सीटों की मांग की है?
सूत्रों के अनुसार, जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने 20 से अधिक विधानसभा सीटों की मांग की है।
उपेंद्र कुशवाहा क्यों नाराज हैं?
उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा चुनाव 2024 में सिर्फ एक सीट मिलने से नाखुश थे, और अब विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए बेहतर हिस्सेदारी चाहते हैं।
क्या जेडीयू को एनडीए में तरजीह मिल रही है?
नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी के बाद से ऐसी चर्चा है कि जेडीयू को गठबंधन में अधिक महत्व मिल रहा है, जिससे अन्य छोटे सहयोगी दल असहज महसूस कर रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 कब होंगे?
बिहार विधानसभा चुनाव आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर 2025 में निर्धारित हैं।
बिहार एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर चल रही यह खींचतान आगामी विधानसभा चुनावों से पहले गठबंधन की एकजुटता की असली परीक्षा होगी। बीजेपी को अपने सभी सहयोगियों को साथ लेकर चलना होगा, क्योंकि बिहार की राजनीति में छोटे दलों की भूमिका अक्सर निर्णायक साबित होती है।
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