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अध्यक्षीय कार्यकाल को यादगार बनाने में जुटे कैलाश -दस माह में तीन विधानसभा जीत का सेहरा, अब लोकसभा से भी उम्मीदें

भोपाल :होठों पर मंद मुस्कान, मन में सबके लिए सम्मान, राजनीति का बेहतर ज्ञान और धीमी चाल से बड़ी उपलब्धि अर्जित करने का लक्ष्य! जिला कांग्रेसाध्यक्ष कैलाश मिश्रा अपने महज दस माह के कार्यकाल में राजधानी भोपाल में तीन विधानसभा सीटें जितवाकर लाने का गौरव अर्जित कर चुके हैं। इसी पखवाड़े होने वाले लोकसभा चुनाव में राजधानी में फहराने वाले कांग्रेस पताका के लिए भी उनकी कोशिशों को परवान चढ़ा हुआ है। आने वाले नगरीय निकाय चुनाव में भी वे कांग्रेस का परचम लहराने की मंशा रखते हैं।
कांग्रेस सेवादल के एक छोटे सिपाही के रूप में सियासी सफर शुरू करने वाले कैलाश मिश्रा पार्षद, जोनाध्यक्ष, निगम सभापति की सीढ़ी चढ़ते हुए फिलहाल जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काबिज हैं। राजधानी भोपाल में पिछली कई सरकारों में महज एक कांग्रेसी विधायक की मौजूदगी के भ्रम को उन्होंने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में तोड़ा है। उनके अध्यक्ष बनने के बाद हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भोपाल की तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को विजय हासिल हुई है। कैलाश के सियासी कौशल का जादू कहा जा सकता है कि उनके कार्यकाल में भाजपा के एक कद्दावर मंत्री और एक जिलाध्यक्ष को कांग्रेस उम्मीदवारों ने धूल चटाकर पराजित किया है।

अब लोकसभा पर नजर

करीब दस माह के अध्यक्षीय कार्यकाल में कैलाश मिश्रा के लिए नई चुनौती लोकसभा चुनाव के रूप में सामने है। अपने बेहतर चुनाव संचालन के जरिये वे लोकसभा के कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह की जीत को सुनिश्चित करने में जुटे हुए हैं। कैलाश बताते हैं कि 18 से 20 घंटे सतत काम करते हुए वे इस प्रयास में लगे हुए हैं कि पिछले 30 साल से राजधानी पर लगे सियासी ग्रहण को हटाया जा सके। उनका कहना है कि भाजपा सांसदों ने लगातार भोपाल की उपेक्षा की है, जिससे इस शहर को केन्द्र से मिलने वाले फायदों से वंचित रहना पड़ा है। कैलाश का कहना है कि दिग्विजय सिंह राजनीति के चाणक्य हैं और प्रदेश से लेकर केन्द्र तक की सियासत में अपनी खास पहचान रखते हैं। उनका भोपाल सांसद चुनकर जाना निश्चित तौर पर इस शहर के विकास के लिए एक नया अध्याय शुरू होने वाला साबित होगा।

आपसी गुटबाजी से दूर कैलाश

वैसे तो कांग्रेसी खेमेबाजी में कैलाश मिश्रा को पूर्व मंत्री सुरेश पचौरी का खास माना जाता है। उनकी करीबी की ही बदौलत उन्हें महापौर चुनाव के लिए टिकट मिल चुका है और दो बार उनका नाम नरेला विधानसभा के प्रत्याशी के रूप में भी आगे बढ़ा है। कहा जाता है कि पचौरी के ही सहयोग से उन्हें जिलाध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने का मौका मिला है। लेकिन इन सब बातों से हटकर कैलाश मिश्रा आपसी खेमेबाजी को दरकिनार करते हुए सभी गुटों से सहयोगात्मक व्यवहार से काम करना पसंद कर रहे हैं। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह के लिए उनकी सक्रियता रेखांकित की जाने जैसी नजर आ रही है।

बदलेगा शहर का नक्शा : कैलाश

जिला कांग्रेसाध्यक्ष कैलाश मिश्रा का कहना है कि जिस तरह विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश ने भाजपा को उसकी गत समझा दी है, उसी तरह लोकसभा चुनाव में भी दिग्विजय सिंह ऐतिहासिक जीत दर्ज कर राजधानी से भाजपा का तिलिस्म समाप्त करेंगे। उन्होंनें दावा किया कि इसके बाद होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में भी शहर सरकार पर कांग्रेस का झंडा लहराएगा और शहर की दशा-दिशा सुधारने में एक नई पहल सामने आएगी।
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