आरओ वाटर के नाम पर प्लास्टीक केन में सादा पानी भर बेच रहे...
आलीराजपुर। आरओ वाटर के नाम पर बिकने वाला पानी सादे पानी के जैसा हि हैं। प्लास्टीक की कैनो मेें बंद सादा पानी होने पर आरओ के नाम से धडल्ले से बेचा जा रहा हैं। जिस पर ना तो पानी खरीदने वालो का ध्यान हे और ना जिम्मेदार अधिकारी और प्रशासन का। मीलावट के नाम पर सिर्फ सादे पानी को हि लोगो के घरो तक पहुंचाया जा रहा है। जिले भर में संचालित आरओ ( कैम्फर ) वॉटर कैने बडी ही सरलता से उपलब्ध हो पा रही है। इन कैनो में सादा पीने के पानी को सिर्फ ठंडा कर इसे आरओ नाम देकर बाजारो में लोगो तक बेचा जा रहा हैं। जिसमें आरओ कंटेंट के नाम पर कुछ भी मानक मात्रा नही मीली हुई है। केवल सादे पानी को हि आरओ का नाम दिया गया हैं। इन ठंडे पानी कि कैनो को लोगो के घरो तक पहुंचाकर उन्हे भ्रमीत किया जा रहा हैं , कि यह आरओ का साफ एवं स्वच्छ पीने योग्य पानी है। लेकिन उस पानी की शुद्धता कि कोई जांच नही हुई है। सादे हौद के पानी को ठंडा करके कैनों में सप्लाई कर आरओ पानी का नाम दिया जा रहा हैं। ऐसे में लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है। अच्छी सेहत के लिए डॉक्टर भी आरओ मिनरल वॉटर का हि सुझाव देते है, लेकिन इस तरह के पानी से लोगो के स्वास्थ्य पर गहरा प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है। आलीराजपुर जिला मुख्यालय से लेकर सोंडवा, उमराली,छकतला,आंबुआ, जोबट, चंद्रशेखर आजाद नगर,उदयगढ, नानपुर,आदी सभी जगहो पर आरओ प्लांट का कहकर सादे पानी को लोगो तक पहुंचाया जा रहा है। आमजन से केवल पानी ठंडा करने के रूपये लीए जा रहे हैं, वो भी अमानक पानी देकर। इस तरह के सादे पानी को आरओ के नाम से बेचने वाले ,सीधे-सीधे लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड कर रहे हैं।
नही है अधिकांश के पास लाइसेंस
जिले भर में संचालीत आरओ वॉटर सेटअप बिना किसी लाइसेंस के संचालीत किये जा रहे है। इन आरओ के प्लांट को शुरू करने से पहले भारतीय मानक द्वारा जारी आइएसआई लाइसेंस लेना आवश्यक होता है। जिसमें फर्म या कंपनी का रजिस्ट्रेशन होता है। इसके बिना आरओ वॉटर प्लांट डालना अपराध की श्रैणी में आता हैं। बिना लाइसेंस के आरओ वॉटर प्लांट का संचालन भी धडल्ले से किया जा रहा है। किसी की कोई रोक-टोक नही होने के कारण आरओ प्लांट के संचालक बिना डर के अपना व्यवसाय करते जा रहे है। इस पर प्रशासन भी कोई ध्यान नही दे रहा है। जिसके चलते यह संचालक बैखोफ आरओ वॉटर के नाम पर दुषित पानी लोगो को पीलाकर उनके स्वास्थ्य को खराब कर रहे है।
मानक मात्रा का नही है अनुपात
आरओ वॉटर में टीडीएस अधिक एवं कम होने पर पानी की शुद्धता को प्रभावित करता है। पानी में घुले हूए खनीज लवण की संख्या को टीडीएस कहा जाता है जैसे-सोडियम, पोटेशीयम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैग्नीज आइरन, आयोडिन
क्लोराइड,बाइकार्बोनेट,कार्बनिक पदार्थ, अकार्बनिक पदार्थ, सुक्ष्म जिव आदी। आरओ फिल्टर जल में प्राकृतिक रूप से मौजुद शरीर के लिए आवश्यक खनिज तत्वों को भी छान देता है। जिसके परिणाम स्वरूप शरीर में खनीज तत्वों की कमी हो जाती हैं। जिससे शरीर कि हड्डीयां कमजोर हो जाती है,मांसपेशियों में एठन होने लगती है। शुद्ध प्राकृतिक जल का पीएच 7 होता है, जबकि आरओ के पानी का पीएच 5 से 6 होता है। 5 पीएच वाला पानी 7 पीएच वाले पानी की तुलना में 100 गुना अधिक एसिडिक होता हैं । आरओ पानी पीने से शरीर के खुन का पीएच बदल जाता हैं। जिसका मानक पैमाने पर उपयोग न करके सादे पानी को आरओ वॉटर कहकर लोगो के घरों तक पहुंचाया जा रहा है। इस तरह के मानक पैमाने का उपयोग न करके आरओ के पानी को पीकर लोगो के स्वास्थ्य पर प्रतिकुल प्रभाव पड रहा है।
नही होती कार्यवाही
अब सबसे बडा सवाल यह उठता है कि इन आरओ वॉटर का संचालन करने वाले प्लांटो पर कार्यवाही क्यो नही होती है? इस बारे में जब अग्रसर इंडिया प्रतिनिधी ने खाद्य विभाग के अधिकारी से चर्चा कि तो उनका कहना था कि यह हमारे दायरे में नही आता है, आप पीएचई विभाग से पुछे। जब पीएचई विभाग के अधिकारी से संपर्क करना चाहा तो उनसे संपर्क नही हो पाया। ऐसे में इन आरओ वाटर सप्लायर पर कार्यवाही कोन करेगा यह सबसे बडा प्रश्न है?