Bhopal

हट नहीं रही वक्फ जायदादों पर बदनीयती की नज़र,शौकत के साथ थे तो रहे भाजपाई,अब खुद को बता रहे कांग्रेसी

भोपाल :वक्फ जायदादों से अपनी जेब भरने और अपना रसूख बताने की नीयत ने लोगों के जमीर को भी दांव पर लगा दिया है। भाजपा द्वारा नामित अध्यक्ष शौकत मोहम्मद खान के बोर्ड में रहने तक जो लोग खुद को बड़ा भाजपाई और कट्टर संघी बताने से नहीं चूकते थे, अब बदले हालात में खुद को असल कांग्रेसी बताने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। वक्फ जायदाद पर अपना कब्जा जताने और खुद को सच्चा वक्फ खैरख्वाह साबित करने के लिए ऐसे लोग पुरानी या मौजूदा कमेटियों के ओहदेदारों पर बिना आधार के आरोप लगाने से भी नहीं चूक रहे हैं।

चंद माह पहले खुद को कट्टर भाजपाई बताने वाले राजगढ़ जिले के कुछ स्वयंभू वक्फ खैरख्वाह अब खुद को कांग्रेसी साबित करने में जुटे हुए हैं। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आरिफ अकील से लेकर वक्फ बोर्ड प्रशासन तक शिकायतों की गठरी लेकर पहुंचने वाले यह वक्फ माफिया लंबे समय से यहां स्थित वक्फ दरगाह बाबा बदखशानी पर अपना कब्जा जताने के प्रयासों में लगे हुए हैं। इसी कोशिश में उन्होंने पिछले भाजपा शासनकाल में तत्कालीन अध्यक्ष शौकत मोहम्मद खान पर क्षेत्रीय सांसद से लेकर सीएम हाउस तक से प्रेशर बनवाया था। सूत्रों का कहना है कि एहतेशाम सिद्दीकी की अध्यक्षता वाली कमेटी को प्रभावित करने के लिए पूर्व कमेटी से जुड़े कुछ लोग और कई राजनीतिक लोग लगे हुए हैं। इसके चलते उन्होंने कमेटी पर अनर्गल आरोपों की झड़ी लगा दी है।

भाजपा शासनकाल में इन लोगों ने उच्च स्तरीय सियासी दबाव बनाने के लिए मुख्यमंत्री निवास से लेकर पार्टी कार्यालय और स्थानीय नेताओं से लेकर प्रदेश स्तर के भाजपाई तक इस कमेटी को बर्खास्त कराने की कोशिशें की थीं।

अहतेशाम ने दी सबसे अधिक चंदा निगरानी

वक्फ दरगाह बाबा बदख्शनी कमेटी के अध्यक्ष एहतेशाम सिद्दीकी ने अपने छोटे कार्यकाल में इस कमेटी की आमदनी को कई गुना बढ़ोतरी करने के प्रयास किए हैं। जहाँ इस कमेटी की आमदनी बरसों से 15-16 हजार रुपए सालाना पर अटकी हुई थी, वहीं एहतेशाम के कार्यकाल में ये आमदनी करीब 56 लाख रुपए सालाना तक पहुंच गई है। नतीजा ये हुआ कि बढ़ी आमदनी से गरीब, जरूरतमंद और मुस्तहिक लोगों की भलाई के कामों में इजाफा होने लगा है। साथ ही दरगाह परिसर में विकास के कामों को भी गति मिली है।

हालात दुश्मनी के

सियासी और प्रशासनिक दबाव में जीत हासिल न होने पर वक्फ पर काबिज होने की मंशा रखने वालों ने एक और पैंतरा खेलकर एहतेशाम पर चारित्रिक आरोप लगाने की कूटरचना करने में भी कसर नहीं छोड़ी है। इन लोगों के इशारे पर एक महिला द्वारा पुलिस को शिकायत कर अहतेशाम उनपर छेड़छाड़ और मारपीट के आरोप लगाए। लेकिन इस बीच कहानीकारों को फिर मुंह की खाना पड़ गई। कारण यह है कि जिस दिन इन झूठे आरोपों का किला तय किया गया, उस दिन एहतेशाम अपनी पूरी टीम के साथ भोपाल में मप्र वक्फ बोर्ड द्वारा आयोजित संभागीय सम्मेलन में शामिल थे। इसको लेकर तमाम प्रमाण भी पुलिस को हासिल हो गए थे। साथ ही एहतेशाम की इसी दिन जिले के उच्च पुलिस अधिकारियों से भोपाल में हुई मुलाकात ने भी उन्हें इस कूटरचना के दायरे से सुरक्षित कर दिया था। वक्फ कमेटी के पूर्व मुतवल्ली की हताशा का आलम यहां तक पहुंचा कि उन्होंने अपने पोषित लोगों को एहतेशाम के घर पर पहुंचाकर वहां हंगामा करवा दिया। एहतेशाम की गैरमौजूगी में पहुुंची इस भीड़ का सामना मुहल्ले के लोगों ने किया और इस बात की गारंटी ली कि एहतेशाम न तो चरित्रहीन है और न ही उसने कोई गुनाह किया है। इस बीच भीड़ ने एहतेशाम के घर की महिलाओं के साथ बदसुलूकी और गालीगलौच की। मामले की शिकायत पुलिस में होने के बाद अशरफ, उस्मान, इसरार और पूर्व मुतवल्ली मुश्ताक अली रिजवी के खिलाफ पुलिस ने भादवि 452, 294, 506, 427 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था।

दादा की कब्र को लेकर उठते सवाल

पूर्व मुतवल्ली और उनके साथियों द्वारा उनके दादा की कब्र को बाबा बदख्शानी के करीब स्थापित करने के लिए भी मौजूदा सदर अहतेशाम पर आरोप लगाए जा रहे हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि जिस समय अहतेशाम के दादा अब्दुल हसन का इंतकाल हुआ, उस समय अहतेशाम की उम्र महज आठ साल की थी।

नवाकारों से हो गई परेशानी

कई बरसों तक वक्फ सम्पत्ति पर काबिज लोगों ने निजी स्वार्थ की पूर्ति करते हुए वक्फ को भारी नुकसान पहुंचाया, लेकिन पिछले कुछ समय में हुए विकास काम उनकी परेशानी का सबब बने हुए हैं। जहां अहतेशाम की कमेटी ने वक्फ आमदनी को लाखों रुपए का फायदा करवाया है, वहीं स्किल डेवलपमेंट प्रोग्रामिंग और काउंसलिंग से युवाओं को दिया स्वरोजगार, पैसे के अभाव में पढ़ाई छोडऩे को मजबूर अनाथ और जरूरतमंद बच्चों को स्कालरशिप देकर शिक्षा देने, कैंसर पीडि़त परिवार की मदद, बेवा, यतीम और गरीबों को कम्बल वितरण, उर्स मेले में पेयजल की व्यवस्था के लिए स्थाई पाईप लाईन, स्थाई सीवरेज लाईन, दरगाह परिसर में सीसीटीवी कैमरे, 120 साल पुरानी दरगाह मस्जिद में सहूलियत के लिहाज से खूबसूरती और पुरातत्व अनुसार जीर्णोधार, मॉडर्न टेक्नोलॉजी के साथ दरगाह शरीफ की वेबसाइट जैसे कई काम भी किए गए हैं।
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